The 2-Minute Rule for kahani hindi
दोनों को यमराज के पास ले जाया गया। यमराज ने पूछा बताओ कि तुम्हारे इस जीवन में क्या कमी थी और तुम्हें क्या बनाकर पुनः इस संसार में भेजा जाए।
एक दिन, धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला। उसने सोचा, “में गधे के ऊपर इस बाघ की खाल डाल दूंगा और पड़ोसियों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया करूँगा। किसान समझेंगे कि सचमुच का बाघ है और उससे डर कर दूर रहेंगे और गधा आराम से खेत चर करेगा।”
सालों stories पहले एक नगर का राजा अपने राज्य में रात को अपना रूप बदलकर घूमता था। वह रूप बदलने के बाद लोगों से मिलकर अपने यानी राजा के बारे में जानने की कोशिश करता और उनकी समस्याओं को समझता था।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर हमारे आस पास रहने वाले कोई मुसीबत में है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
महेश गेहूं और चावल की खेती किया करता था, जिससे उसको परिवार का पालन पोषण करने के लिए अच्छा खासा धन मिल जाया करता था।
फिर नौकर ने बंदर को रस्सी से बांधकर बाहर निकाला। लालची बंदर पकड़ा गया।
हालांकि अब सेठ के द्वार पर मोहन नहीं बैठा था लेकिन मोहन का विचार अभी भी सेट के मन में घर कर बैठा था। सेठ सोच रहा था - मोहन इतनी जल्दी हार मानने वाला आदमी तो नहीं दिखता है। उसके साथ क्या हुआ होगा?
राम अपने भाई श्याम को उन दोस्तों से बचने के लिए कहा करता, मगर श्याम उसे डांट लगा देता और कहता अपने काम से काम रखा करो। श्याम के दोस्त घर से स्कूल जाने के लिए निकलते और रास्ते में कहीं और चले जाते।
पांचो पुत्र बहुत हैरान हुए और उन्होंने पिता से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया। फिर उसने कहा, वे सब लाठियां एक साथ इकट्ठी थी, सो उन में इतना बल था कि सारा गट्ठर तुमसे से न टूटा। लेकिन जब एक एक लाठी अलग हो गई, तो उसे दूसरी छड़ियों के बल से सहारा नहीं मिला। तो यह तुरंत टूट गया।
सत्य और ईमान के रास्ते पर चलने वाली ईमानदारी की कहानी
एक दिन श्याम अपने भाई के साथ स्कूल जा रहा था। उसका भाई राम कक्षा में चला गया अचानक श्याम के दोस्त आए और उसे कहने लगे कि आज हमारे दोस्त हरि का जन्मदिन है, इसलिए आज स्कूल ना जाओ। पहले तो श्याम ने मना किया, किंतु दोस्तों के बार-बार बोलने पर वह उनके साथ चला गया। धीरे-धीरे श्याम को आदत हो गई और वो हर रोज ऐसा करने लगा।
रमेश बहुत ही प्यारा बालक था। वह कक्षा दूसरी में पढ़ता। रमेश विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार मनाया जाने वाला था। रमेश बहुत उत्साहित था इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए। रमेश को उसकी कक्षा अध्यापिका ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में भाग लेने के लिए बोला था। उसके हर्ष का कोई ठिकाना नहीं था, वह खुशी-खुशी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयारियां करने लगा।
एक बार की बात है, एक गरीब लकड़हारा अपने सात बच्चों के साथ रहता था। वह इतना गरीब था कि अपने बच्चों को ठीक से खाना भी नहीं दे पाता था। इसी को देखते हुए उसने अपने बच्चों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया।
अब दादाजी को नित्य-प्रतिदिन दादाजी को उन बर्तनों में खाना मिलने लगा। दादाजी को इन बातों का बुरा तो लगा किंतु उन्होंने किसी से कहा नहीं।